जल ही जीवन है, यह सच भी है, पर जब जल देने वाला नल ही केवल हवा देने लगे तो लोगों के हलक सूखने ही लगेंगे। ये बातें कुरूम गांव के लोगों पर फीट बैठता है। क्योंकि कुरूम में लगे नलके सफेद हाथी बन कर मुंह ही चिढ़ाता है। इसकी कारण से वार्ड न0 32 में कुरूम, चाहा, नया चाहा और छतर मांडू के दक्षिणी हिस्से में कभी भी सुचारू रूप से नल का जल नहीं मिला। वर्षां पहले पीएचइडी विभाग की और से एक महत्वाकांक्षी योजना के तहत हर घर के लिए काम शुरू किया गया।
पर धरातल पर कहानी कुल और ही दिखाई देते है। वहां पर गाडे गए और खडे़ पाइप व नलके कुल दिनां बाद भी शोभा की वस्तु बनकर रहे गई और अब काल गाल में समा गए। इन चारों गांवों में न तो नालियां बनी, न पनसोखे। लाखों रूपये से बनाया गया जल मीनार खड़ा होकर मुंह चिढ़ाता है। वहीं सड़के और गलिया़ उबड़-खाबड़ और गड्ढ से भरी है।